Monday, 22 September 2014
Wednesday, 17 September 2014
पीत पट पहने मुख चन्द्र सा ---श्रीओम...
पीत पट पहने मुख चन्दा सा उसपे सोहे काली घूंघर लट !!
मस्तक पर केसर तिलक दमके,शीश पर न्यारो मोर मुकुट!!
मै बलिहार नटवरनागर तेरे विशाल दोउ नैना करें निहाल !!
गल सोहत वनमाल,वैजयंतीमाल चमकत मोतियन माल !!
मन मोहत मुस्कान मंद मंद अधरन धर वंशी बजाये मधुर!!
तिरछे चरण धर खड़े तुम सुनते *कृष्ण* प्रेमीजन की पुकार !!
*जय श्री कृष्णा* जय श्री कृष्णा* जय श्री कृष्णा******श्रीओम....
मै और मेरा परम्प्यारा प्रभु --श्रीओम...
मै और मेरा परम प्यारा प्रभु दोनों एक है ,कहीं द्वैत नहीं है,ये मेरा आत्मा कहता है ---
मेरा परम प्यारा प्रभु तो हर समय मेरे पास मेरे दिल में रहता है,ये मेरा दिल कहता है ---
मेरे परम प्यारे प्रभु के लिए जो कहीं भी और कभी भी तर्क होता है ,ये मेरा दिमाग करता है ---
ये तो अपने परम धन प्यारे प्रभु की बात है ,ऐ दिमाग शोर मत कर शांत हो जा ----
ऐ मेरे दिल अपने को दिव्य प्रेम से भर कर अनुभव कर मै तो शुद्ध चैतन्य आत्मा हूँ, अपने परमात्मा से कभी अलग हूँ ही नहीं ----यही सत्य है
----श्रीओम
Thursday, 11 September 2014
चली अपने माधव से मिलने --श्रीओम....
जय जय श्री राधे----
एक लता थी वो निरीह सी
चली अपने माधव से मिलने
हवा ने बदली जब अपनी चाल
बदल गयी तब तो रास्ते की ढाल
वो खो गयी आंधीयों की गर्द धूल में
जलाया था जो दीप माधव मिलन का
बुझा नहीं वो फिर भी गहरी आंधीयों मे
पड़ी एक क्षण उसपे किरण माधव के नूर की
कुछ तुड़ी और मुड़ी सी उठ चली फिर बेबसी में
ठोकरे खाती वो कहते रटते माधव मधुसूदन मुरारी
लिए पक्की लगन वो पहुंची माधव की पावन शरण में
बन गयी दिव्यरुपा रहा न भेद कुछ माधव और प्रेम बेल में
रखे मान सदा ही माधव अपने निराले प्रेमी और विरह जनों का
हो शंका तो आजमा ले कोई देना पड़ता है सर्वस्व माधव परम धन को
जय जय श्री राधे ----राधे कृष्णा -श्रीओम...
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