मै और मेरा परम प्यारा प्रभु दोनों एक है ,कहीं द्वैत नहीं है,ये मेरा आत्मा कहता है ---
मेरा परम प्यारा प्रभु तो हर समय मेरे पास मेरे दिल में रहता है,ये मेरा दिल कहता है ---
मेरे परम प्यारे प्रभु के लिए जो कहीं भी और कभी भी तर्क होता है ,ये मेरा दिमाग करता है ---
ये तो अपने परम धन प्यारे प्रभु की बात है ,ऐ दिमाग शोर मत कर शांत हो जा ----
ऐ मेरे दिल अपने को दिव्य प्रेम से भर कर अनुभव कर मै तो शुद्ध चैतन्य आत्मा हूँ, अपने परमात्मा से कभी अलग हूँ ही नहीं ----यही सत्य है
----श्रीओम
No comments:
Post a Comment